अक्सर तेरे ख्याल से बाहर नहीं हुआ
शायद यही सबब था मैं पत्थर नहीं हुआ।
महका चमन था, पेड़ थे, कलियाँ थे, फूल थे,
तुम थे नहीं तो पूरा भी मंज़र नहीं हुआ।
माना मेरा वजूद नदी के समान है,
लेकिन नदी बगैर समंदर नहीं हुआ।
जिस दिन से उसे दिल से भुलाने की ठान ली,
उस दिन से कोई काम भी बेहतर नहीं हुआ।
साए मैं किसी और के इतना भी न रहो,
अंकुर कोई बरगद के बराबर नहीं हुआ।
शायद यही सबब था मैं पत्थर नहीं हुआ।
महका चमन था, पेड़ थे, कलियाँ थे, फूल थे,
तुम थे नहीं तो पूरा भी मंज़र नहीं हुआ।
माना मेरा वजूद नदी के समान है,
लेकिन नदी बगैर समंदर नहीं हुआ।
जिस दिन से उसे दिल से भुलाने की ठान ली,
उस दिन से कोई काम भी बेहतर नहीं हुआ।
साए मैं किसी और के इतना भी न रहो,
अंकुर कोई बरगद के बराबर नहीं हुआ।
achhi gajal hai chetanji
जवाब देंहटाएंमैं पत्थर नहीं हुआ
जवाब देंहटाएंbahut achchhe
आपका स्वागत है ब्लॉग जगत में ,और आपके निरंतर लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ........
जवाब देंहटाएंसाए मैं किसी और के इतना भी न रहो,
जवाब देंहटाएंअंकुर कोई बरगद के बराबर नहीं हुआ।
भावनाओं की सुंदर प्रस्तुति. स्वागत.
bahut khub likha hai. narayan narayan
जवाब देंहटाएंब्लोगिंग जगत में स्वागत है
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना के लिए शुभकामनाएं
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहिए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लिए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लिए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com
aapki gajal padkar to vastav me aanand ki abhibhuti hui krpyaa aisaa hi likhte rahiye taaki blog jagat me aapkaa naam ho ,krpyaa mere blog ko bhi dekhne ki krpaa kare ,aapko aapki ruchi ke anusaar sab kuchh milegaa aik baar blog par jaakar to dekhiye aapkaa bahut bahut dhanyvaad
जवाब देंहटाएंhausla badhane ke liye shukria. main apke blog zaroor parunga. chetan anand
जवाब देंहटाएं