प्यार युद्ध, हिंसा नहीं, प्यार नहीं हथियार, प्यार के आगे झुक गईं, कितनी ही सरकार। प्यार कृष्ण का रूप है, जिसे भजें रसखान, प्यार जिसे मिल जाये वो, बन जाये इंसान। प्यार हृदय की पीर है, प्यार नयन का नीर, ढाई आखर प्यार है, कह गए संत कबीर। प्यार न समझे छल-कपट, चोरी, झूठ या लूट, प्यार पवित्र रिश्ता अमर, जिसकी डोर अटूट। प्यार में ओझल चेतना, प्यार में गायब चैन, प्यार अश्रु अविरल-विकल, जिसमें भीगें नैन।
अब इनकी किस्मत है चाहे जितनी दूर तलक जाएँ, मैंने कोरे कागज़ पर अल्फाज़ के पंछी छोड़े हैं।