ज़ुबाँ से बोलेगा या फिर नज़र से बोलेगा मेरा वजूद तो मेरे हुनर से बोलेगा क़लम क़लम है क़लम की ज़ुबाँ नहीं होती क़लम का दर्द तुम्हारी खबर से बोलेगा। चेतन आनंद
अब इनकी किस्मत है चाहे जितनी दूर तलक जाएँ, मैंने कोरे कागज़ पर अल्फाज़ के पंछी छोड़े हैं।