tag:blogger.com,1999:blog-84534476919645041242024-03-07T21:57:43.975-08:00तुम्हारी यादअब इनकी किस्मत है चाहे जितनी दूर तलक जाएँ,
मैंने कोरे कागज़ पर अल्फाज़ के पंछी छोड़े हैं।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-2211491362261915762018-11-20T22:01:00.001-08:002018-11-20T22:01:22.944-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
गंगा पर दस दोहे</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
त्रिदेवों की लाडली, हिम शिखरों की शान।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
आज धरा से माँगती, जीने का वरदान।1।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
सिसक-सिसककर कर रही, गंगा यही पुकार।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
मानव तेरी मातु मैं, मुझे न ऐसे मार।2।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
देखो जीवन-दायिनी, माँ गंगा बीमार।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
साँस न टूटे इसलिये, शीघ्र करो उपचार।3।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
याद रखो कर्तव्य तुम, मत भूलो उपकार।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
माँ गंगा से हैं जुड़े, इस जीवन के तार।4।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
रात कहे इंसान से, याद कराये भोर।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
गंगा को निर्मल बना, मत बन अधिक कठोर।5।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
गंगाजल से देह है, गंगाजल से प्राण।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
गंगाजल के मेल से, देव बने पाषाण।6।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
बूंद-बूंद भूगोल है, लहर-लहर इतिहास।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
माँ गंगा की गोद में, छिपे कई मधुमास।7।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
माँ गंगा से ही मिले, भारत को पहचान।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
गंगा की पाकर कृपा, देव बने इंसान।8।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
मानो अब प्रत्यक्ष तुम, या फिर इसे परोक्ष।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
गंगा से जीवन मिले, गंगा से ही मोक्ष।9।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
गंगाजल से कर तिलक, यह निर्मलतम इत्र।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
जिस घर गंगाजल रहे, वह घर बने पवित्र।10।</div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
<br /></div>
<div style="background-color: white; color: #222222; font-family: Arial, Helvetica, sans-serif; font-size: small;">
-चेतन आनंद</div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-60181527990472199992018-08-02T02:57:00.005-07:002018-08-02T03:10:06.571-07:00ग़ज़ल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<br />
ऐसा भी कोई तौर तरीका निकालिये।<br />
अहसास को अल्फाज़ के सांचे में ढालिये।।<br />
<br />
जलता रहे जो रोज़ ही नफ़रत की आग में,<br />
ऐसा दिलो दिमाग़ में रिश्ता न पालिये।।<br />
<br />
दीवार रच रही है बांटने की साजिशें,<br />
उठिये कि घर संभालिये, आंगन संभालिये।।<br />
<br />
सोया है गहरी नींद में बहरा ये आसमां,<br />
तो चीखिये, आवाज़ के पत्थर उछालिये।।<br />
<br />
फाक़ाकशी में भूख लगी तो यही किया,<br />
हमने ये अश्क पी लिये, ये ग़म ही खा लिये।।<br />
<br />
<b>- चेतन आनंद</b><br />
<div>
<br /></div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-42845198845389185302014-04-08T03:35:00.001-07:002014-04-08T03:35:09.237-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
ज़ुबाँ से बोलेगा या फिर नज़र से बोलेगा<br />
मेरा वजूद तो मेरे हुनर से बोलेगा<br />
क़लम क़लम है क़लम की ज़ुबाँ नहीं होती<br />
क़लम का दर्द तुम्हारी खबर से बोलेगा।<br />
चेतन आनंद </div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-52720950200340479672010-07-26T03:48:00.000-07:002010-07-26T03:52:23.965-07:00दो मुक्तक<p>चलते रहना बहुत ज़रूरी है,</p><p>दिल की कहना बहुत ज़रूरी है,</p><p>देखो, सागर बनेंगे ये आंसू,</p><p>इनका बहना बहुत ज़रूरी है।</p><p> </p><p>शहर आँखों में समेटे जा रहे हैं,</p><p>स्वार्थ की परतें लपेटे जा रहे हैं,</p><p>छोड़कर माँ-बाप बूढ़े, कोठरी में,</p><p>बीवियों के संग बेटे जा रहे हैं.</p><p> </p><p> </p>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-33549765569016768522010-06-11T05:37:00.000-07:002010-06-11T05:51:11.245-07:00प्यार के दोहेप्यार युद्ध, हिंसा नहीं, प्यार नहीं हथियार,<br />प्यार के आगे झुक गईं, कितनी ही सरकार।<br /><br />प्यार कृष्ण का रूप है, जिसे भजें रसखान,<br />प्यार जिसे मिल जाये वो, बन जाये इंसान।<br /><br />प्यार हृदय की पीर है, प्यार नयन का नीर,<br /><span class="">ढाई आखर प्यार है, कह गए संत कबीर।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">प्यार न समझे छल-कपट, चोरी, झूठ या लूट,</span><br /><span class="">प्यार पवित्र रिश्ता अमर, जिसकी डोर अटूट।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">प्यार में ओझल चेतना, प्यार में गायब चैन,</span><br /><span class="">प्यार अश्रु अविरल-विकल, जिसमें भीगें नैन। </span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-30056236520126230902010-03-22T08:13:00.000-07:002010-03-22T08:17:24.002-07:00मुक्तकयूँ भी हुए तमाशे सौ।<br />पाया एक, तलाशे सौ।<br />जब भी उसका नाम लिया,<br />मुंह में घुले बताशे सौ।<br /><br />यूँ समझो था ख्वाब सुनहरा याद रहा।<br />मुझे सफ़र में तेरा चेहरा याद रहा।<br />कैसे कह दूँ तेरी याद नहीं आई,<br />रस्ते भर खुशबु का पहरा याद रहा.Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-30226167927619366232010-02-16T07:30:00.000-08:002010-02-16T07:37:37.585-08:00ग़ज़लजीवन मेरा, प्यार तुम्हारा,<br />मुझपर है अधिकार तुम्हारा।<br /><br />बस, अब तो हो जाओ राज़ी,<br />वो मेरा, संसार तुम्हारा।<br /><br />मैं तो सच की राह चलूँगा,<br />झूठ भरा घर-बार तुम्हारा।<br /><br />सुख दो, दुख दो, सब सर माथे,<br />जो कुछ है, स्वीकार तुम्हारा।<br /><br />क्यों काँटों जैसा लगता है,<br />मुझपर हर उपकार तुम्हारा।<br /><br />ठेठ निकम्मे हो, फिर कैसे-<br />सपना हो साकार तुम्हारा।<br /><br />मां मैं कब से सोच रहा हूँ,<br />कैसे उतरे भार तुम्हारा।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-9006893584154237122010-02-05T02:35:00.000-08:002010-02-05T02:45:05.331-08:00अगर चिराग है तो जल......अगर चिराग है तो जल तू आँधियों के सामने<br />अगर हँसी है तो हरेक लबके हाथ थाम ले।<br /><br />अगर है होंसला तो हर कदम-कदम के साथ चल,<br /><span class="">रुकावटें करेंगी क्या अगर इरादे हैं अटल,</span><br /><span class="">जिधर-जिधर मुड़ेगा तू, उधर मुडेंगे रास्ते।</span><br /><span class="">अगर चिराग है तो जल तू आँधियों के सामने।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">अगर तू कान है तो दर्द सुन यहाँ हरेक का,</span><br /><span class="">अगर तू आँख है तो दिक्क़तों का कर मुआयना, </span><br /><span class="">अगर ज़बान है तो सामने जहाँ के बोल दे।</span><br /><span class="">अगर चिराग है तो जल तू आँधियों के सामने।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">अगर नसीब है तो फिर तू मुफलिसी का साथ दे,</span><br /><span class="">यकीन है अगर कहीं तो आदमी का साथ दे,</span><br /><span class="">अगर तू दायरा है तो पतन के पाँव रोक दे। </span><br /><span class="">अगर चिराग है तो जल तू आँधियों के सामने।</span><br /><span class=""></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-15536173873228166152010-01-13T06:52:00.001-08:002010-01-13T07:05:36.349-08:00सोच लिया तो सोच लियाजीवन खुशियों से भर दूंगा, सोच लिया तो सोच लिया।<br />चिंताओं पर फतह करूंगा, सोच लिया तो सोच लिया।<br /><br />जीवन से बढ़कर समाज है और समाज से ऊपर देश,<br />देश की खातिर जां दे दूंगा, सोच लिया तो सोच लिया।<br /><br />कितनी भी बाधाएं आएं, भारी संकट हों सर पर,<br />तुमको चाहा है, चाहूँगा, सोच लिया तो सोच लिया।<br /><br />उसके सच को वज़न मिले तो, आखिर मैंने सोचा है,<br />दर्पण को चेहरा दे दूंगा, सोच लिया तो सोच लिया।<br /><span class=""></span><br /><span class="">खूब खताएं की हैं मैंने, पश्चाताप करूँ कैसे, </span><br /><span class="">माँ के आगे सर रख दूंगा, सोच लिया तो सोच लिया।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">बच्चों की गुल्लक के पैसे लेकर राशन ले आया,</span><br /><span class="">आगे ठीकठाक कर लूँगा, सोच लिया तो सोच लिया.</span><br /><span class=""></span><br />हंसी नहीं ला पाऊँ शायद उनके होठों पे "चेतन "<br />कम से कम, ग़म कम कर दूंगा, सोच लिया तो सोच लिया.Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-25339426182711497752009-12-23T03:25:00.000-08:002009-12-23T03:31:58.698-08:00ग़ज़लवक़्त चुपके से मेरे दिल की कहानी लिख गया।<br />मेरी सूनी आँखों में दरिया का पानी लिख गया।<br /><br />ये उसी का ही असर था, जो किताबे जीस्त के-<br />हर सफे पे उसकी ही यादें पुरानी लिख गया।<br /><br />आंसुओं को अब चुकाना ही पड़ेगा, क्योंकि दिल-<br />अब तलक जो क़र्ज़ था, सारा ज़बानी लिख गया।<br /><br />कौन था वो, जो मेरे दिल को समंदर कह गया,<br />और आँखें, आंसुओं की राजधानी लिख गया।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-45307005492270880972009-12-19T02:59:00.000-08:002009-12-19T03:08:11.094-08:00ग़ज़लतुम कभी इसके, कभी उसके, कभी उसके हुए।<br />सोचता हूँ जिंदगी भर तुम भला किसके हुए।<br /><br />वो मेरे नगमे चुराकर महफिलों में छा गया,<br />मेरे हिस्से में रहे अहसास कुछ सिसके हुए।<br /><br />करवटें लेते रहे हम, ख्वाब भी आये नहीं,<br />हाथ आये नींद के टुकड़े कई खिसके हुए।<br /><br />माँ ने बोला था कि बेटा उसको तो मत भूलना,<br />जिसकी चाहत के दुपट्टे में बंधे, जिसके हुए।<br /><br />उसने मेरी दर्द में डूबी कहानी यूँ सुनी,<br />जैसे वो कोई कहानी ना हुई, चस्के हुए।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-81800807793403257532009-12-03T01:48:00.000-08:002009-12-03T02:01:22.612-08:00ग़ज़लसुख कम हैं, दुःख हज़ार बुजुर्गों के वास्ते।<br />कैसी समय की मार बुजुर्गों के वास्ते।<br /><br />जो फूल थे, औलादें उठाकरके ले गईं,<br />बाकी बचे जो खार बुजुर्गों के वास्ते।<br /><br />गैरों को करें रोज़ ही ईमेल, एसमएस,<br /><span class="">चिठ्ठी न कोई तार बुजुर्गों के वास्ते।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">बेटा गया विदेश तो बेटी न पास है, </span><br /><span class="">बस यादें बेशुमार बुजुर्गों के वास्ते।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">बेटों ने जो ज़मीन थी आपस में बाँट ली, </span><br /><span class="">जो था बचा उधार बुजुर्गों के वास्ते।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">सेवा करेगा इनकी तो आशीष मिलेंगे, </span><br /><span class="">चेतन तू हो तैयार बुजुर्गो के वास्ते.</span><br /><span class=""></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-21471684087589708952009-12-02T03:34:00.000-08:002009-12-02T03:43:34.774-08:00हमेशा साथ में रखनाये तो ताज़ा हवाएं हैं, हमेशा साथ में रखना<br />ये मौसम की अदाएं हैं, हमेशा साथ में रखना,<br />नसीहत, चाहतें, आशीष, नुस्खे, झिडकियां, ये सब-<br />बुजुर्गों की दुआएं हैं, हमेशा साथ में रखना।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-87568688017928006542009-04-26T23:43:00.000-07:002009-04-27T00:14:51.067-07:00युगपुरुष विवेकानंद की जयजो जन-जन का सहगान बना,<br />जो दुखियों की मुस्कान बना,<br />भारत का गौरवगान बना,<br />जो ऋषियों की संतान बना,<br />जो सच की राह चला निर्भय,<br /><span class="">है उसी विवेकानंद की जय,</span><br /><span class="">मन बोल विवेकानंद की जय,</span><br /><span class="">युगपुरुष विवेकानंद की जय।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">जिसने गौरों के घर जाकर,</span><br /><span class="">जब बोला हेलो ब्रदर सिस्टर,</span><br /><span class="">तब टूटा मौन, बढ़ी हलचल,</span><br /><span class="">ये युवक कौन करता पागल,</span><br /><span class="">ये बादल नहीं, है चिंगारी,</span><br /><span class="">ये ऋषि सभी पर है भारी,</span><br /><span class="">जब शून्य विषय पर स्वर फूटे,</span><br /><span class="">सब ज्ञानवान पीछे छूटे,</span><br /><span class="">सब लोग उसी के दीवाने,</span><br /><span class="">उस कर्मवीर के मस्ताने,</span><br /><span class="">जो एक नई पहचान बना,</span><br /><span class="">जो संस्कृति का सम्मान बना,</span><br /><span class="">भारतमाता की शान बना,</span><br /><span class="">जो हर मन का अभिमान बना,</span><br /><span class="">है उसी विवेकानंद की जय,</span><br /><span class="">मन बोल विवेकानंद की जय,</span><br /><span class="">युगपुरुष विवेकानंद की जय।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">थे सीधे- सादे हावभाव,</span><br /><span class="">लेकिन अदम्य उनका प्रभाव,</span><br /><span class="">वह सहज, सरल, निर्मल मन का,</span><br /><span class="">विश्वास अटल, बहुबल तन का,</span><br /><span class="">वह आर्य चला था युग रचने,</span><br /><span class="">उसके थे नयन में कई सपने,</span><br /><span class="">वह सकल विश्व का संचालक,</span><br /><span class="">बस दीखता था चंचल बालक,</span><br /><span class="">उसका मकसद छा जाना था,</span><br /><span class="">निज देश वरिष्ठ बनाना था,</span><br /><span class="">जो मानवता का गीत बना,</span><br /><span class="">जो संस्कृति का संगीत बना,</span><br /><span class="">हर इक मन का मनप्रीत बना,</span><br /><span class="">जो सबकी निश्चित जीत बना,</span><br /><span class="">है उसी विवेकानंद की जय,</span><br /><span class="">मन बोल विवेकानंद की जय,</span><br /><span class="">युगपुरुष विवेकानंद की जय।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">वह नहीं मगर वह अब भी है,</span><br /><span class="">आता तो नज़र वह अब भी है,</span><br /><span class="">मुझमें, तुम में, सारे जग में,</span><br /><span class="">हर एक प्रहर वह अब भी है,</span><br /><span class="">उसके जैसा बनना है हमें,</span><br /><span class="">भारत को बड़ा करना है हमें,</span><br /><span class="">सम्मान बड़ों का करना है,</span><br /><span class="">जज्बा सबमें ये भरना है,</span><br /><span class="">उसके आदर्श नहीं भूलो,</span><br /><span class="">सत्कर्मों से नभ को छू लो,</span><br /><span class="">मत भूलो उसकी यादों को,</span><br /><span class="">मत भूलो नेक इरादों को,</span><br /><span class="">उल्लास भरो, उत्साह भरो,</span><br /><span class="">अब भूलो भी अवसादों को,</span><br /><span class="">अब बोलो भी होकर निर्भय,</span><br /><span class="">मन बोल विवेकानंद की जय,</span><br /><span class="">हाँ उसी विवेकानंद की जय,</span><br /><span class="">युगपुरुष विवेकानंद की जय। </span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-34914693638593330012009-04-07T00:36:00.000-07:002009-04-07T00:46:08.381-07:00दोहेयुग बीता, मौसम गए, बदला सब परिवेश।<br />किंतु तिमिर से रोज़ ही, लड़ता रहा दिनेश।<br /><br />उसकी यादों में रहा, मैं इतना मशगूल।<br />फूल बताकर बो गए, घर में लोग बबूल।<br /><br />सूख गई भागीरथी, भागीरथ लाचार।<br />व्यथित, व्यग्र, अभिशप्त है, सकल, सगर परिवार।<br /><br />दुःख का पारावार सह, मत हो अधिक अधीर।<br />चिंता का सिर काटती, चिंतन की शमशीर।<br /><br />कटा, कटाया अन्न सब, रखा खेत में धान।<br />कला कौया ले गया, ताकता रहा किसान।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-25573342562861229042009-04-01T03:27:00.000-07:002009-04-01T03:35:54.024-07:00ग़ज़ललिख नहीं पाए बहुत ज़्यादा मगर कुछ तो लिखा<br />प्यार की दीवार पे ग़म का असर कुछ तो लिखा.<br /><br />मन की उलझन, तन की चिंता, काम से भारी थकन,<br /><span class="">जिंदगी के फलसफे पर रातभर कुछ तो लिखा।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">ये चलो माना कि हम आगाज़ पे चुप रह गए,</span><br /><span class="">जिंदगी लेकिन तेरे अंजाम पर कुछ तो लिखा।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">पढ़ नहीं पाया हमारे दिल को वो तो क्या हुआ,</span><br /><span class="">चूमकर उसने हमारे गाल पर कुछ तो लिखा।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">छोड़िये किस्मत में उसने क्या लिखा, क्या न लिखा,</span><br /><span class="">चिलचिलाती धूप में लंबा सफर कुछ तो लिखा।</span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-1269757159422298062009-03-29T07:51:00.000-07:002009-03-29T08:16:48.535-07:00सौ-सौ नहीं हजारों अभिनन्दन करनाजिसने बढते तूफानों को थाम<span class=""> लिया, </span><br /><span class="">आँसू से भी अंगारों का काम लिया,</span><br /><span class="">जिसका पौरुष देख पराजित पाक हुआ,</span><br /><span class="">सभी विरोधी अमला हटा हलाक हुआ,</span><br /><span class="">जिसने की मरने मिटने की तैयारी,</span><br /><span class="">जान गँवा दी, लेकिन बाज़ी न हारी,</span><br /><span class="">ऐसे अमर शहीद का तुम वंदन करना,</span><br /><span class="">सौ-सौ नहीं हजारों अभिन्दन करना।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">मांग भरी थी उसने कल ही दुल्हन की,</span><br /><span class="">खनखन भी पूरी न सुनी थी कंगन की,</span><br /><span class="">चाँद सरीखा मुखड़ा तक न देख सका,</span><br /><span class="">एक रात की अंगडाई तक नहीं रुका,</span><br /><span class="">रुनझुन करती पायल के स्वर मौन हुए,</span><br /><span class="">सिहरन ने भी होंठ हृदयके नहीं छुए,</span><br /><span class="">भरी गुलाबों की डाली को भूल गया,</span><br /><span class="">फांसी के फंदे पर जाकर झूल गया,</span><br /><span class="">ऐसे अमर शहीद का तुम वंदन करना, </span><br /><span class="">सौ-सौ नहीं हजारों अभिनन्दन करना।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">दो ही दिन तो हुए थे घर आया था वो,</span><br /><span class="">केक पेस्ट्री थैला भर लाया था वो,</span><br /><span class="">जन्मदिवस उसके बच्चे का पहला था,</span><br /><span class="">जीवनपथ का पल ये नया रुपहला था,</span><br /><span class="">लेकिन सजते-सजते कमरा छूट गया,</span><br /><span class="">वक्त लुटेरा बनकर खुशियाँ लूट गया,</span><br /><span class="">एक तार ने तार-तार सब तार किए,</span><br /><span class="">फिर भी जिसने माँ की खातिर प्राण दिए,</span><br /><span class="">ऐसे अमर शहीद का तुम वंदन करना,</span><br /><span class="">सौ-सौ नहीं हजारों अभिनन्दन करना।</span><br /><span class=""></span><br /><span class="">श्रवन सरीखा, एकलव्य सा प्यारा था,</span><br /><span class="">अंधे की लाठी, आंखों का तारा था,</span><br /><span class="">एक अकेला चाँद, सुदीपक सूबे का,</span><br /><span class="">घर का पालनहार, लक्ष्य मनसूबे का,</span><br /><span class="">सरहद पर टिकना भी बहुत ज़रूरी था,</span><br /><span class="">दुश्मन से टक्कर लेना मजबूरी था,</span><br /><span class="">सौ-सौ पर इकलौता था पर भारी था,</span><br /><span class="">ग़लत इरादों की गर्दन पर आरी था,</span><br /><span class="">ऐसे अमर शहीद का तुम वंदन करना,</span><br /><span class="">सौ-सौ नहीं हजारों अभिनन्दन करना.</span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span><br /><span class=""></span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-955893421962409122009-03-17T09:04:00.000-07:002009-03-17T09:11:53.757-07:00गीत -- अभी तो और चलना हैमेरी सोई हुई पीढ़ी, <br />उठो फिर से संभलना है,<br /> यही मंजिल नहीं अपनी, <br />अभी तो और चलना है।<br /><br />सितारे गुम हैं अम्बर से,<br />जुदा हर शाख तरुवर से,<br />सभी वातावरण बिखरा,<br />सितारों का चमन बिखरा,<br />सितारों को उगाना है,<br />चमन फिर से सजाना है,<br />नए श्रम के नगीने से,<br />कि अपने ही पसीने से,<br />तुम्हें अब प्यार से ही,<br />नफरतों का रुख बदलना है।<br />यही मंजिल नही अपनी,<br />अभी तो और चलना है।<br /><br />ज़रूरत चेतना की है,<br />ज़रूरत साधना की है,<br />ज़रूरत एकता की है,<br /> समन्वय वंदना की है,<br />बनो मुस्कान की दुनिया,<br />नई पहचान की दुनिया,<br />अकेली गूँज से हटकर,<br /><span class=""></span> बनो सहगान की दुनिया,<br />अँधेरी राह में सूरज,<br />तुम्हें बनकर निकलना है।<br />यही मंजिल नहीं अपनी,<br />अभी तो और चलना है।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-66716293882535742082009-03-09T07:33:00.000-07:002009-03-09T07:40:58.664-07:00होली है जी होली हैगली-गली घूमती है, आसमान चूमती है,<br />मस्त है, मलंग है, तरंग भरी टोली है।<br />रूखे, सूखे अधरों पे मीठी मुस्कान ऐसे-<br />जैसे किसी नीम पे टंगी हुई निबोली है।<br />बात-बात प्रतिघात, झंजावात, चक्रवात,<br />शब्द-शब्द ऐसे जैसे दनदनाती गोली है।<br />रंग भरी पिचकारी उसने उठाके कहा-<br />सोचते हो कान्हा क्या यूँ होली है जी होली है.Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-33320843639495194152009-03-01T07:26:00.000-08:002009-03-01T07:34:24.700-08:00ग़ज़ल-5थी बहुत दिन से अधूरी जो कमी पूरी हुई।<br />तेरे आने से हमारी ज़िन्दगी पूरी हुई।<br /><br />द्वार, छत, दीवार, आँगन, कोने-कोने देख लो,<br />सब हुए रोशन तुझी से रौशनी पूरी हुई।<br /><br />आंख से चलकर उतर आए जो आंसू होंठ पर,<br />है बहुत रहत, चलो कुछ तो हँसी पूरी हुई।<br /><br />सब लबालब हो चुके थे आँख, सपने, नींद, मन,<br />नाम लेते ही तेरा ये साँस भी पूरी हुई।<br /><br />देख ली रोशन नज़र तेरी तो हमको ये लगा,<br />ये ग़ज़ल जो थी अधूरी, बस अभी पूरी हुई।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-86216344161730606412009-02-25T22:46:00.000-08:002009-02-25T23:02:44.298-08:00मुक्तकखामोश हम रहे तो पहल कौन करेगा<br />उजड़े चमन में फेरबदल कौन करेगा<br />प्रश्नों के पक्ष में अगर चले गए जो हम<br />उत्तर की समस्याओं को हल कौन करेगा।<br /><br />तुम नहीं थे पर तुम्हारी याद थी,<br />दिल की दुनिया इसलिए आबाद थी,<br />क्यों न बनता मेरे सपनों का महल,<br />इसमें तेरे प्यार की बुनियाद थी।<br /><br />सबकी आँखों के प्यारे हुए,<br />हम थे ज़र्रा सितारे हुए,<br />लोग सब जानने लग गए,<br />दिल से हम जब तुम्हारे हुए।<br /><br />तुझसे रिश्ते जो गहरे हुए,<br />दिन सुनहरे-सुनहरे हुए,<br />नींद आती नहीं रातभर,<br />तेरी यादों के पहरे हुए।<br /><br />ये हमें महसूस होता जा रहा है,<br />वो बड़ा मायूस होता जा रहा है,<br />चिट्ठियाँ हाथों में आती ही नहीं अब,<br />डाकिया जासूस होता जा रहा है।<br /><br />खुशबुओं की ज़रूरत हो तुम,<br />क्या कहूं कैसी मूरत हो तुम,<br />चाँद में भी दरार आ गई,<br />किस कदर खूबसूरत हो तुम।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-87649864540106521362009-02-22T07:26:00.000-08:002009-02-22T07:38:07.759-08:00तुम्हारी यादतुम्हारी याद में चहका, तुम्हारी याद में महका<br />तुम्हारी याद में निखरा, तुम्हारी याद में बिखरा<br />तुम्हारी याद मुझको रात भर सोने नहीं देती,<br />कभी हंसने नहीं देती, कभी रोने नहीं देती।<br />तुम्हारी याद मेरे घर के चौकीदार जैसी ,<br />जो पूरी रात जगती है, सुबह करवट बदलती है।<br />तुम्हारी याद दादी माँ की उस लोरी सरीखी है,<br />कि जो बच्चों की मीठी नींद में अक्सर टहलती है।<br />तुम्हारी याद घर आई हुई चिट्ठी की तरह है,<br />जो अपने दूर के संदेश भी नजदीक लाती है।<br />तुम्हारी याद पूजाघर में प्रातः वंदना जैसी<br />जिसे हर रोज़ मेरी माँ बड़ी श्रद्धा से गाती है।<br />तुम्हारी याद मुझको भीड़ में खोने नही देती,<br />कभी हंसने नही देती, कभी रोने नही देती।<br /><br />तुम्हारी याद मेरे सोच की गहराइयों में है<br />तुम्हारी याद मेरी रूह की परछाइयों में है।<br />तुम्हारी याद मेरी चेतना के पंख जैसी है<br />तुम्हारी याद सन्नाटे में गूंजे शंख जैसी है।<br />तुम्हारी याद मरुथल में भटकती प्यास भी तो है<br />तुम्हारी याद सीता का कठिन वनवास भी तो है।<br />तुम्हारी याद जीने का सबक देती तो है, लेकिन<br />तुम्हारी याद मरने तक कोई संन्यास भी तो है।<br />तुम्हारी याद क्यों मुझको, मुझे होने नही देती,<br />कभी हंसने नही देती, कभी रोने नही देती।<br /><br />तुम्हारी याद फूलों सी, तुम्हारी याद शबनम सी,<br />हवा के मंद झौकों सी, नए मदमस्त मौसम सी।<br />तुम्हारी याद झूलों सी, तुम्हारी याद सावन सी,<br />तुम्हारी याद अंगडाई, तुम्हारी याद धड़कन सी।<br />तुम्हारी याद राधा-कृष्ण में व्याकुल सी मीरा सी,<br />तुम्हारी याद तुलसी, सूर, रत्नाकर, कबीरा सी।<br />तुम्हारी याद जयशंकर, महादेवी, निराला सी,<br />तुम्हारी याद बच्चन की छलकती मस्त हाला सी।<br />सुमन जैसी तुम्हारी याद, दिनकर सी, भवानी सी,<br />तुम्हारी याद कोमल गीत, चौपाई, कहानी सी।<br />तुम्हारी याद समझौता कोई ढोने नही देती,<br />कभी हंसने नही देती, कभी रोने नही देती।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-80744682988300276392009-02-19T07:29:00.001-08:002009-02-19T07:44:51.578-08:00कहाँ गए दिन फूलों केअँधियारा जंगल-जंगल<br />दूर-दूर तक अब केवल<br />दिखते झाड़ बबूलों के<br />कहाँ गए दिन फूलों के।<br /><br />हर पनघट सूना-सूना<br />सूनी-सूनी चौपालें<br />मौन चतुर्दिक घूम रहा<br />पहन हादसों की खालें<br />गुमसुम नीम, मौन आंगन,<br />ठिठका सा देखे सावन<br />मुखड़े सहमे झूलों के,<br />कहाँ गए दिन फूलों के।<br /><br />अंकुर की करतूतों पर<br />बादल भी शर्माता है<br />पूरब का सारथी यहाँ<br />पश्चिम को मुड जाता है<br /><span class=""><span class="">छल </span>से भरे स्वयम्वर में</span><br /><span class="">और झूठ के ही घर में</span><br /><span class="">चर्चे हुए उसूलों के,</span><br /><span class="">कहाँ गए दिन फूलों के.</span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-38515600001695653912009-02-18T02:24:00.000-08:002009-02-18T02:33:00.022-08:00ग़ज़ल-4<p>अजब अनहोनिया हैं फिर अंधेरों की अदालत में </p><p><span class="">उजाले धुन रहें हैं सिर अंधेरों की अदालत में।</span></p><p><span class="">पुजारी ने बदल डाले धरम के अर्थ जिस दिन से,</span></p><p><span class="">सिसकता है कोई मन्दिर अंधेरों की अदालत में।</span></p><p><span class="">जो डटकर सामना करता रहा दीपक, वो सुनते हैं </span></p><p><span class="">वकीलों से गया है घिर अंधेरों की अदालत में।</span></p><p><span class="">सवेरा बाँटने के जुर्म में पाकर गया जो कल,</span></p><p><span class="">वो सूरज आज है हाज़िर अंधेरों की अदालत में।</span></p><p><span class="">सुना है फिर कहीं पर रौशनी की द्रोपदी चेतन,</span></p><p><span class="">घसीटी ही गई आखिर अंधेरों की अदालत में.</span></p><p><span class=""></span> </p>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-8453447691964504124.post-39684021508534444292009-02-17T07:00:00.000-08:002009-02-17T07:04:18.132-08:00न आंसूं की कमी होगी, न आहों की कमी होगी,<br />कमी होगी तो बस तेरी निगाहों की कमी होगी।<br />कि मेरे कत्ल का चर्चा अदालत मैं न ले जन<br /><span class="">तुझे ख़ुद को बचाने में गवाहों कि कमी होगी.</span>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/00652567516587325528noreply@blogger.com0