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प्यार के दोहे

प्यार युद्ध, हिंसा नहीं, प्यार नहीं हथियार,
प्यार के आगे झुक गईं, कितनी ही सरकार।

प्यार कृष्ण का रूप है, जिसे भजें रसखान,
प्यार जिसे मिल जाये वो, बन जाये इंसान।

प्यार हृदय की पीर है, प्यार नयन का नीर,
ढाई आखर प्यार है, कह गए संत कबीर।

प्यार न समझे छल-कपट, चोरी, झूठ या लूट,
प्यार पवित्र रिश्ता अमर, जिसकी डोर अटूट।

प्यार में ओझल चेतना, प्यार में गायब चैन,
प्यार अश्रु अविरल-विकल, जिसमें भीगें नैन।

टिप्पणियाँ

  1. प्यार अल्फाज को कितने रूपो और कितने रंगों से संवारा है आपने..सच है प्रेम से ही सारा संसार है..इस अकथ कहानी का कोई अन्त नहीं..सुन्दर रचना हेतु बधाई।

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  2. प्यार जिसे मिल जाये वो, बन जाये इंसान।...Bahut Khub....Kahan aapne...Janab...Bhagwan aur Haiwan ko Kisne dekha bhi nahi....Pyar ji Haiwan ko mile....wo ban jayega insan....

    जवाब देंहटाएं

  3. प्यार न समझे छल-कपट, चोरी, झूठ या लूट,
    प्यार पवित्र रिश्ता अमर, जिसकी डोर अटूट।

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चलते रहना बहुत ज़रूरी है, दिल की कहना बहुत ज़रूरी है, देखो, सागर बनेंगे ये आंसू, इनका बहना बहुत ज़रूरी है। शहर आँखों में समेटे जा रहे हैं, स्वार्थ की परतें लपेटे जा रहे हैं, छोड़कर माँ-बाप बूढ़े, कोठरी में, बीवियों के संग बेटे जा रहे हैं.