तुम कभी इसके, कभी उसके, कभी उसके हुए।
सोचता हूँ जिंदगी भर तुम भला किसके हुए।
वो मेरे नगमे चुराकर महफिलों में छा गया,
मेरे हिस्से में रहे अहसास कुछ सिसके हुए।
करवटें लेते रहे हम, ख्वाब भी आये नहीं,
हाथ आये नींद के टुकड़े कई खिसके हुए।
माँ ने बोला था कि बेटा उसको तो मत भूलना,
जिसकी चाहत के दुपट्टे में बंधे, जिसके हुए।
उसने मेरी दर्द में डूबी कहानी यूँ सुनी,
जैसे वो कोई कहानी ना हुई, चस्के हुए।
सोचता हूँ जिंदगी भर तुम भला किसके हुए।
वो मेरे नगमे चुराकर महफिलों में छा गया,
मेरे हिस्से में रहे अहसास कुछ सिसके हुए।
करवटें लेते रहे हम, ख्वाब भी आये नहीं,
हाथ आये नींद के टुकड़े कई खिसके हुए।
माँ ने बोला था कि बेटा उसको तो मत भूलना,
जिसकी चाहत के दुपट्टे में बंधे, जिसके हुए।
उसने मेरी दर्द में डूबी कहानी यूँ सुनी,
जैसे वो कोई कहानी ना हुई, चस्के हुए।
वो मेरे नगमे चुराकर महफिलों में छा गया,
जवाब देंहटाएंमेरे हिस्से में रहे अहसास कुछ सिसके हुए।
करवटें लेते रहे हम, ख्वाब भी आये नहीं,
हाथ आये नींद के टुकड़े कई खिसके हुए।
बहुत लाजवाब गज़ल है। वाकई कमाल कर दिया । ये दो शेर तो दिल को छू गये।