प्यार युद्ध, हिंसा नहीं, प्यार नहीं हथियार,
प्यार के आगे झुक गईं, कितनी ही सरकार।
प्यार कृष्ण का रूप है, जिसे भजें रसखान,
प्यार जिसे मिल जाये वो, बन जाये इंसान।
प्यार हृदय की पीर है, प्यार नयन का नीर,
ढाई आखर प्यार है, कह गए संत कबीर।
प्यार न समझे छल-कपट, चोरी, झूठ या लूट,
प्यार पवित्र रिश्ता अमर, जिसकी डोर अटूट।
प्यार में ओझल चेतना, प्यार में गायब चैन,
प्यार अश्रु अविरल-विकल, जिसमें भीगें नैन।
प्यार के आगे झुक गईं, कितनी ही सरकार।
प्यार कृष्ण का रूप है, जिसे भजें रसखान,
प्यार जिसे मिल जाये वो, बन जाये इंसान।
प्यार हृदय की पीर है, प्यार नयन का नीर,
ढाई आखर प्यार है, कह गए संत कबीर।
प्यार न समझे छल-कपट, चोरी, झूठ या लूट,
प्यार पवित्र रिश्ता अमर, जिसकी डोर अटूट।
प्यार में ओझल चेतना, प्यार में गायब चैन,
प्यार अश्रु अविरल-विकल, जिसमें भीगें नैन।
sabhee panktiya ek se bad kar ek hai........
जवाब देंहटाएंAti sunder
april ,may me ek bhee post nahee.....?
जवाब देंहटाएंvyastata...?
प्यार जिसे मिल जाये वो, बन जाये इंसान।...Bahut Khub....Kahan aapne...Janab...Bhagwan aur Haiwan ko Kisne dekha bhi nahi....Pyar ji Haiwan ko mile....wo ban jayega insan....
जवाब देंहटाएंwahwa....bahut dino ke baad nazar aaye bhagwan.....
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जवाब देंहटाएंप्यार न समझे छल-कपट, चोरी, झूठ या लूट,
प्यार पवित्र रिश्ता अमर, जिसकी डोर अटूट।